स्नान और दान का महापर्व मकर संक्रांति, सामर्थ्यनुसार करेंं जरूरतमंद की सहायता : स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज
अलीगढ़ न्यूज़: सनातन धर्म में मकर संक्रांति पर्व का विशेष महत्त्व है। वर्ष की 12 मासिक संक्रांति में इस संक्रांति पर सूर्य उत्तरायण होता है, अर्थात सूर्य उत्तर दिशा की ओर बढ़ता है। साथ ही मकर संक्रांति से मौसम परिवर्तन की शुरुआत होने लगती है। इस बार संक्रांति का संक्रमण काल 14 जनवरी यानि रात्रि 08:43 से प्रारम्भ हो चुका है परन्तु उदयातिथि के अनुसार, मकर संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी प्रातः 06:47 मिनट से प्रारम्भ होकर सांय 05:40 मिनट तक रहेगा। वहीं महापुण्यकाल प्रातः 07:15 मिनट से प्रातः 09:06 मिनट तक रहेगा।
वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने मकर संक्रांति के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि आज के दिन पुण्य और महापुण्यकाल में स्नान और दान करना अत्यंत शुभकारी रहता है।
पूजा विधान के विषय में स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया कि आज प्रातः किसी पवित्र नदी में या नदी के अभाव में गंगाजल को सामान्य जल में मिलाकर स्नान के उपरांत लोटे में लाल फूल और अक्षत डाल कर भगवान सूर्य को उनके बीजमन्त्र के साथ अर्घ्य देना चाहिए एवं श्रीमदभागवत के एक अध्याय अथवा गीता का पाठ एवं आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करके जरूरतमंद व्यक्ति अथवा ब्राह्मण को नए कम्बल, अन्न,तिल और घी का दान करना चाहिए। भोजन में खिचड़ी बनाकर भगवान को समर्पित करके प्रसाद रूप से ग्रहण करना चाहिए।
मकर संक्रांति के दान के महत्त्व के विषय में स्वामी जी ने बताया कि संक्रांति के दिन दान दक्षिणा या धार्मिक कार्य का सौ गुना फल मिलता है। माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकम्बलम, स भुक्त्वा सकलान भोगान अन्ते मोक्षं प्राप्यति। वैसे तो इस दिन विभिन्न प्रकार के दान का महत्त्व है परन्तु उड़द की दाल और चावल, तिल, चिड़वा, स्वर्ण (सोना), ऊनी वस्त्र, कंबल आदि दान करने का विशेष महत्व है।