30 वर्ष बाद बनेगा खप्पर महायोग, शनिदेव की प्रसन्नता हेतु मौनी अमावस्या पर करें जप-तप-दान: स्वामी पूर्णानंदपुरी
अलीगढ़ न्यूज़: वैदिक पंचांग के अनुसार 15-15 दिनों के दो पक्ष होते हैं, एक पक्ष में पूर्णिमा और दूसरे पक्ष में अमावस्या आती है। कृष्ण पक्ष के दौरान चंद्रमा का आकार धीरे-धीरे कम होता है और अमावस्या तक लगभग शून्य के बराबर हो जाता है। कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या कहा जाता है। वैसे तो सभी अमावस्याएं अपने आप में महत्त्व रखतीं हैं परन्तु माघ के महीने में आने वाली मौनी अमावस्या का विशेष महत्त्व है जो कि इस बार 21 जनवरी शनिवार को पड़ रही है। अमावस्या तिथि पर पवित्र नदी में स्नान एवं दान का विशेष महत्व होता है। यह जानकारी वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने दी।
स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने माघ महीने में पड़ने वाली अमावस्या तिथि के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि इस अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता। इस दिन मौन व्रत का पालन करते हुए भगवान से जाने अनजाने में हुए पाप के लिए क्षमा प्रार्थना करना शुभ होता है एवं पूजा पाठ का विशेष महत्त्व होता है। इस वर्ष मौनी अमावस्या पर लगभग 30 साल के बाद शनि कुंभ राशि में मौजूद रहेंगे, मकर राशि में सूर्य और शुक्र की युति से खप्पर योग का निर्माण होगा जिसको कुंडली में शनि के शुभ प्रभाव को बढ़ाने और धार्मिक कार्यों के लिए विशेष माना जाता है।
स्वामी पूर्णानंदपुरी जी के अनुसार नवग्रहों में ऊर्जावान तथा सुंदर एवं आध्यात्म के कारक ग्रह शनि ढाई वर्ष में राशि परिवर्तन करते हैं। इन्हीं ढाई वर्ष के दौरान कभी वक्र अवस्था और कभी मार्गी अवस्था चलती रहती है। गणना चक्र के बाद शनि ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। इस बार मौनी अमावस्या पर शनि का राशि परिवर्तन चार दिन पहले 17 जनवरी 2023 को सांय पांच बजकर 45 मिनट को हो गया। शनि का अपनी राशि कुंभ में प्रवेश की अवस्था 30 वर्ष बाद बन रही है इस दृष्टि से यह 30 वर्ष बाद मौनी अमावस्या का महापर्व रहेगा।
स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने मौनी अमावस्या से जुड़े पूजा पाठ एवं दान के विधान के बारे बताया कि सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी में स्नान करें,यदि ऐसा संभव नहीं हो तो आप घर में ही पानी में गंगाजल और तिल मिलाकर स्नान करें। कोशिश करें की मौनी अमावस्या के दिन बिना कुछ बोले स्नान करें, इस दिन बिना बोले स्नान करने से महापुण्य की प्राप्ति होती है।
इस दिन स्नान करने का शुभ मुहूर्त सूर्योदय से लेकर पूरे दिन रहेगा। स्नान के बाद सूर्य को अर्ध्य दे कर श्रीमद भागवत कथा श्रवण करने के बाद तांबे के कलश में काले तिल, सोने का दाना रखकर वैदिक कर्मकांडी ब्राह्मण को दान करने से रोग, दोष, बाधा की निवृत्ति होती है साथ ही कार्य में प्रगति का रास्ता खुलता है, इस दिन गायों को घास खिलाने से भी कुल वृद्धि होती है एवं शनि की अनुकूलता के लिए जरुरतमंद को भोजन, कंबल, वस्त्र, औषधि का दान करने का विधान है।