आधुनिक दाग रहित एंडोस्कोपिक सॉल्यूशंस से मोटापा, डायबिटीज मेलिटस और हाइपरटेंशन से मिलेगी निजात

आधुनिक दाग रहित एंडोस्कोपिक सॉल्यूशंस से मोटापा, डायबिटीज मेलिटस और हाइपरटेंशन से मिलेगी निजात

अलीगढ़ न्यूज़: मोटापे से लंबे समय तक निजात पाने के लिए बैरियाट्रिक सर्जरी प्रभावी उपचार साबित हुआ है। इस सफल उपचार प्रक्रिया से लंबे समय तक वजन कम होने के साथ ही मोटापे से जुड़ी डायबिटीज एवं हाइपरटेंशन जैसी बीमारियों से भी आश्चर्यजनक रूप से मुक्ति मिल जाती है।

हालांकि मोटापे से निजात पाने का प्राथमिक उपचार शारीरिक श्रम और खानपान में बदलाव ही है लेकिन इसका कम प्रभाव और इसे कम लोगों द्वारा अपनाए जाने के कारण वैकल्पिक उपचार प्रक्रिया की मांग बढ़ी है।

डॉ. नीरज चौधरी, प्रमुख मिनिमली इनवेसिव सर्जरी तथा लीवर ट्रांसप्लांट, गैस्टोइंटेस्टाइनल, एचपीबी यथार्थ सुपर स्पेशियल्टी हॉस्पिटल, ग्रेटर नोएडा के अनुसार बहुत प्रभावी साधन होने के बावजूद सिर्फ एक फीसदी अनुकूल मरीज ही बैरियाट्रिक सर्जरी करवाते हैं। लिहाजा हमेशा एक ऐसी अत्यावश्यक उपचार प्रक्रिया की जरूरत है जो प्रभावशाली होने के साथ—साथ ज्यादा से ज्यादा मरीजों पर भी इस्तेमाल किया जा सके। इस बीच, मोटापे के इलाज में एंडोस्कोपिक उपचार प्रक्रिया ने जबर्दस्त तरक्की की है और इससे बहुत हद तक मोटापे के इलाज का एक वैकल्पिक साधन मिल सकता है।

इंस्ट्रागैस्ट्रिक बैलून

शरीर का अतिरिक्त वजन कम करने में इंस्ट्रागैस्ट्रिक बैलून एक प्रभावी साधन है। आईजीबी एक नॉन—सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें मरीज को बेहोश कर इलाज किया जाता है। पेट तक बैलून पहुंचाने के लिए गैस्ट्रोस्कोप नामक एंडोस्कोपिक कैमरा मुंह के जरिये डाला जाता है। पेट में जाते ही इसमें बैलून से जुड़ी छोटी ट्यूब के जरिये स्टेराइल सलाइन सॉल्यूशन (500—750 एमएल) भर दिया जाता है। इसके बाद ट्यूब को हल्के से निकाल लिया जाता है। मोटापे के कारण पेट के अंदर बैलून पर्याप्त रूप से फुल जाता है और पेट में जमा कैलोरी कम हो जाता है। सामान्य रूप से बैलूनिंग से शरीर का कुल वजन (टीबीडब्ल्यूएल) 10 फीसदी तक हो जाता है। कई मरीज इंसुलिन भी लेना बंद कर देते हैं और ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर तथा खराब बसा पर काबू पाने के लिए दवा लेना भी बंद कर देते हैं।

मोटापे के इलाज का मकसद वजन कम करना होता है ताकि शारीरिक तंदुरुस्ती हासिल हो सके और मोटापा संबंधी परेशानियां कम हो सके। शरीर का कुल वजन (100 किलो के व्यक्ति का 10 किलो) दस फीसदी कम करने से देखा गया है कि उसके डायबिटीज, हाइपरटेंशन और वसा के लेवल में भी सुधार आया है। शरीर का अतिरिक्त वजन अधिक से अधिक कम करने से मोटापा संबंधी परेशानियां भी कम हो जाएंगी। न्यूट्रिशनिस्ट, साइकोलॉजिस्ट, एंडोस्कोपिस्ट और सर्जन की बहुआयामी टीम मोटापे से पीड़ित व्यक्ति का ख्याल रखती है और उन्हें स्वस्थ जीवन जीने में मदद करती है।

ईएसजी एंडोस्कोपिक

शरीर का वजन नियंत्रित करने में ईएसजी एक नई एंडोस्कोपिक तकनीक है जिसमें पेट का आकार भी कम हो जाता है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो एनेस्थेसिया के जरिये अपनाई जाती है और इसमें त्वचा पर चीरा लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है। गले के जरिये पेट तक एक स्कोप डाला जाता है और टांगे से पेट का आकार कम किया जाता है तथा खाना खाने की क्षमता कम कर दी जाती है। सुरक्षा और बेहतर परिणाम सुनिश्चित करने के लिए ये एंडोस्कोपिक प्रक्रियाएं मोटापे से पीड़ित मरीजों का ख्याल रखने वाले विशेष संसाधनों से लैस केंद्र पर सावधानी से चुने गए मरीजों पर ही अपनाई जाती हैं और फिर उनकी देखभाल कई विभागों के विशेषज्ञ करते हैं।

यह प्रक्रिया न सिर्फ न्यूनतम शल्यक्रिया वाली होती है, बल्कि वजन घटाने के लिए अत्यंत सुरक्षित और प्रभावी भी है। आम तौर पर मरीजों को इसमें 48 घंटे तक अस्पताल में रहना पड़ता है, उसके बाद ही उन्हें छुट्टी दी जाती है। इन प्रक्रियाओं की सुरक्षा और प्रभावशीलता को लेकर कई शोध किए गए हैं। शरीर के कुल वजन का अनुमानित 20 फीसदी कम होने से डायबिटीज मेलिटस, हाइपरटेंशन, डायस्लिपिडेमिया, स्लीप एपनिया और ओस्टियोअर्थराइटिस जैसी मोटापे से जुड़ी बीमारियों पर नियंत्रण पाने तथा इनमें कमी लाने में भी मदद मिलती है।

एंडोस्कोपिक टेक्नोलॉजी की तरक्की मोटापे से पीड़ित मरीजों को स्वस्थ करने में प्रभावी साबित हुई है और सही मायने में यह विज्ञान के उद्देश्य को परिभाषित करती है।

Vplnews

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