वर्ष का पहला चन्द्रग्रहण शुक्रवार को, भारत में उपछाया, सूतक नहीं रहेंगे मान्य : स्वामी पूर्णानंदपुरी जी
अलीगढ़ न्यूज: सूर्य ग्रहण के बाद वर्ष का पहला चंद्र ग्रहण 15 दिन के अंतराल बाद वैशाख महीने की पूर्णिमा तिथि यानि शुक्रवार को लगने जा रहा है। यह एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा।
वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज के अनुसार सामान्यतः सूर्य ग्रहण शुरू होने से 12 घंटे पहले सूतक काल आरंभ हो जाता है जबकि चंद्र ग्रहण होने पर 9 घंटे पहले सूतक लग जाते हैं, परन्तु जब भी उपच्छाया चंद्रग्रहण लगता है तो इसको ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखा जाता है ऐसे में इस चंद्र ग्रहण का सूतक काल भारत में मान्य नहीं होगा।
स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया कि रात्रि 08:44 मिनट से लेकर 01:02 मिनट तक लगभग 04 घंटे 15 मिनट की अवधि वाला यह चंद्र ग्रहण भारत के अलावा एशिया के अधिकांश हिस्से, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, प्रशांत, अटलांटिक, अंटार्कटिका और हिंद महासागर में दिखाई देगा। भारत में इस चन्द्रग्रहण के नहीं दिखने के कारण यहाँ सूतक मान्य नहीं होगा परन्तु ग्रहण से संबंधित उपाय और सावधानियां रखनी चाहिए।
चंद्र ग्रहण तीन प्रकार के देखने को मिलते हैं पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान चन्द्रमा और सूर्य के बीच पृथ्वी के आने के कारण चांद पूरी तरह छिप जाता है। आंशिक चन्द्रग्रहण में सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक पूर्ण संरेखण में नहीं होते हैं। वहीं उपछाया चन्द्रग्रहण में चंद्रमा पृथ्वी की छाया के अस्पष्ट बाहरी हिस्से को पार करता है। इसे आसानी से देखा नहीं जा सकता है।