अंगूठे की मिनिमली इनवेसिव सफल सर्जरी भारत में पहली बार

अंगूठे की मिनिमली इनवेसिव सफल सर्जरी भारत में पहली बार

अंगूठे की मिनिमली इनवेसिव सफल सर्जरी भारत में पहली बार

-डॉक्टर प्रदीप मुनोत ने की पहली मिनिमली इनवेसिव चेलेक्टोमी सर्जरी

-सर्जरी में 1.9 मिमी के नैनोस्कोप का किया गया इस्तेमाल

अलीगढ़ न्यूज़: डॉक्टर प्रदीप मुनोत मुंबई के लीडिंग ऑर्थोपेडिक सर्जन है और उन्होंने देश की पहली सफल मिनिमली इनवेसिव चेलेक्टोमी सर्जरी की है. इस सर्जरी में उन्होंने 1.9 मिमी का नैनोस्कोप इस्तेमाल किया है. ऑर्थोपेडिक सर्जरी के क्षेत्र में ये एक मील का पत्थर है, जिसमें पैर से जुड़ी इस तरह की परेशानियों का सफल इलाज किया जा रहा है.

59 वर्षीय मरीज को पैर के अंगूठे में हल्का दर्द था. धीरे-धीरे अंगूठे के जोड़े के ऊपरी हिस्से पर हड्डी बढ़ने लगी (ऑस्टियोफाइट्स) लगी. इसमें बहुत ही गंभीर दर्द होने लगा जिससे मरीज को पैर घुमाने में भी परेशानी होने लगी.

चेलेक्टोमी एक सर्जरी है जिसका उपयोग हॉलक्स रिजिडस के इलाज के लिए किया जाता है. ये एक ऐसी समस्या है जिसमें पैर के अंगूठे में असर होता है और दर्द रहता है. इससे अंगूठा टाइट हो जाता है और उसको घुमाने में भी दिक्कत आती है. चेलेक्टोमी को एक ओपन सर्जरी के रूप में किया जाता रहा है, जिसमें एक बड़ा चीरा लगाकर प्रभावित हड्डी को हटाया जाता है. लेकिन इस प्रक्रिया से निशान, दर्द रहता है और रिकवरी में ज्यादा वक्त लगता है.

लेकिन भारत में पहली डॉक्टर प्रदीप मुनोत ने मिनिमली इनवेसिव चेलेक्टोमी सर्जरी की है. इसके बारे में समझाते हुए डॉक्टर प्रदीप ने बताया, ”हमने डिस्पोजेबल 1.9 मिमी नैनोस्कोप का उपयोग किया. इसका इस्तेमाल भारत में पहली बार किया गया. एक्स-रे की मदद से विशेष उपकरणों के जरिए हड्डी बढ़े हुए हिस्से को हटाया गया. हमने स्किन पर दो चीरे लगाए, एक चीरा 1 सेमी से कम का था. इसका फायदा ये हुआ कि सर्जरी के कम से कम निशान आए, कम दर्द हुआ, संक्रमण का कोई खतरा नहीं था और रिकवरी भी तेजी से हुई. ऑपरेशन के बाद जॉइंट कार्टिलेज की कंडीशन अच्छी थी, कोई दर्द नहीं थी जिससे ये साबित हुआ कि इस तरह चेलेक्टोमी करना काफी सफल रहा. मरीज के अंगूठे में पूरा मूवमेंट आ गया और इस तरह ये सर्जरी एक बड़ी सफलता बन गई. यह आर्थोपेडिक सर्जरी के क्षेत्र में एक मील का पत्थर है, और मेरा मानना है कि इस तकनीक में पैर से जुड़ी दिक्कतों के इलाज में क्रांति लाने की क्षमता है.”

डॉक्टर मुनोत को मिनिमली इनवेसिव सर्जरी का बहुत बड़ा एक्सपीरियंस है. हाल ही में उन्होंने बैक-टू बैक 6 टोटल एंकल रिप्लेसमेंट सर्जरी की हैं, जो भारत में पहली बार था.

डॉक्टर प्रदीप ने इस विषय पर आगे बताया, ”मिनिमली इनवेसिव तकनीक ने ऑर्थोपेडिक सर्जरी के क्षेत्र में क्रांति ला दी है और मैं भारत में इस तकनीक को पेश करने में सबसे आगे रहने के लिए काफी रोमांचित हूं. पारंपरिक ओपन सर्जरी की तुलना में इस सर्जरी में तेजी से रिकवरी होती है जबकि ट्रेडिशनल सर्जरी से रिकवरी में हफ्तों का समय लग जाता है.”

डॉक्टर प्रदीप मुनोत एक लीडिंग ऑर्थोपेडिक सर्जन हैं और उन्होंने अपने करियर में बहुत बड़ी में संख्या में सफल सर्जरी की हैं. डॉक्टर प्रदीप अपने मरीजों को बेस्ट पॉसिबल रिजल्ट दिलाने के लिए लेटेस्ट सर्जरी तकनीक का इस्तेमाल करते हैं और एडवांस ट्रीटमेंट मुहैया कराने में काफी आगे रहते हैं.

Vplnews

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