शिव भक्ति में लीन सैकड़ों श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर किया रुद्राभिषेक
अलीगढ़ न्यूज़: भगवान शिव के पवित्र श्रावण महीने में लोगों की आस्था और भक्ति का सैलाब अनूपशहर के जे.पी घाट पर देखने को मिला, जहाँ स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज के निर्देशन में सैकणो शिवभक्तों ने पार्थिव शिव रुद्राभिषेक एवं पूजन अर्चन किया। गंगा किनारे हुए इस भव्य अनुष्ठान में शिव के साथ माँ गंगा की आरती कर लोगों ने देश की अखंडता और एकता की मंगलमय कामना की।
मंगलवार की प्रातः कालीन बेला में वैदिक ज्योतिष संस्थान के तत्वावधान में जेपी गंगा घाट किनारे अलीगढ शहर सहित अन्य तमाम जगह से पधारे लगभग पांच सौ लोगों ने अपने अपने स्थान पर बैठकर स्वनिर्मित विशेष मिट्टी के पार्थिव शिव लिंग सहित समस्त शिव परिवार को चौकी पर स्थापित करके विधि विधान से रुद्राभिषेक किया।
ज्योतिष एवं कर्मकांड के पुरोधा तथा वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज के निर्देशन में आचार्य गौरव शास्त्री, ऋषि शास्त्री, दुष्यंत शास्त्री, मनोज शास्त्री, चंदर शास्त्री, ऋषभ वेदपाठी, ओम वेदपाठी सहित अन्य प्रकांड ब्राह्मणों की देखरेख में वैदिक मन्त्रोंच्चार के साथ प्रथम पूज्य भगवान गणेश, गौरी, भूमि, गंगा सूर्य एवं समस्त देवी देवताओं की पूजा अर्चना के पश्चात भगवान शिव का विभिन्न द्रव्यों के साथ अभिषेक प्रारंभ किया गया जिनमें विशेषतः दूध, दही, घी, शहद, बूरा, गन्ने का जूस, अनार एवं अन्य फलों के जूस, गुलाबजल, नारियल सहित अनेकों पेय पदार्थों से स्नान किया।
उसके बाद भाँग, धतूरा, बिल्बपत्र, शमीपत्र, मदार आदि के पुष्पों को अर्पित कर अबीर ग़ुलाल के साथ श्रंगार किया गया और चंदन, भस्म का लेप लगाकर समस्त शिव परिवार को वस्त्र समर्पित किये। हर हर महादेव के जयघोषों के साथ शिव की भक्ति में ओतप्रोत होकर सभी भक्तों ने देवाधिदेव महादेव की स्तुति कर वातावरण को भक्तिमय बनाया।
पार्थिव शिव रुद्राभिषेक के महत्त्व को स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने विस्तारित करते हुए कहा कि सावन का पवित्र महीना और मंगलवार का विशेष दिन भगवान शिव की पार्थिव पूजा से मंगलागौरी का आशीर्वाद मिलता है। पार्थिव शिव पूजा का उल्लेख हमें प्राचीन पुराणों एवं धर्मग्रंथो से मिलता है, सबसे पहले भगवान राम ने लंका पर कूच करने से पहले पार्थिव शिव पूजन किया था, वहीं माता सती ने भी भगवान शिव की भक्ति पार्थिव प्रतिमा बनाकर की थी। कलयुग में भगवान शिव का पार्थिव पूजन कूष्माण्ड ऋषि के पुत्र मंडप ने किया था।जिसके बाद से अभी तक शिव कृपा बरसाने वाली पार्थिव पूजन की परंपरा चली आ रही है।
स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया कि कलयुग में पार्थिव शिव पूजन का विशेष महत्व है। भगवान शिव एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनकी पूजा साकार और निराकार दोनों रूप में होती है। साकार रूप में भगवान शिव मनुष्य रूप में हांथ में त्रिशूल और डमरू लिए बाघ की छाल पहनें नंदी की सवारी करते हुए नजर आते हैं। शिवपुराण के अनुसार साकार औऱ निराकार दोनों रूपों में महादेव की पूजा फलदायी होती है। शिवलिंग की पूजा करना अधिक उत्तम माना गया है वहीं शिव पुराण के अनुसार सावन के महीने में पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने पर व्यक्ति के जीवन से जुड़ी बड़ी से बड़ी बाधाएं दूर हो जाती हैं तथा साधक के जीवन से अकाल मृत्यु का भय दूर हो जाता है और धन-धान्य, सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है,सभी सुखों को भोगता हुआ अंत में मोक्ष को प्राप्त होता है।
पूजा के अंत में भगवान शिव और पतित पावनी माँ गंगा की महाआरती कर सभी भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया। रुद्राभिषेक के इस महाअनुष्ठान में जितेंद्र गोविल, श्वेता गोविल, मारुतिनंदन जिंदल, रजनीश वार्ष्णेय, नेहा गुप्ता, तेजवीर सिंह, डौली सिंह, शिब्बू अग्रवाल, आशीष जैन, निपुण उपाध्याय, लव उपाध्याय, मनोज उपाध्याय, रीना उपाध्याय, अर्चना अग्रवाल, प्रेम जी भागवत, ब्रजेन्द्र वशिष्ठ सहित सैकणो अन्य लोग उपस्थित रहे।