31 अगस्त को ही मनाया जाएगा राखी पर्व : स्वामी पूर्णानंद पुरी जी महाराज
अलीगढ़ न्यूज़: गत दो वर्षों से निरंतर रक्षाबंधन पर्व की तिथि को लेकर असमंजस की स्थित बनी हुई है। यह पर्व कब मनाया जाए इसको लेकर विद्वानों का मतभेद बना रहता है, वहीं इस पर्व में भद्रा नक्षत्र का विशेष महत्त्व देखने को मिलता है इसी खास वजह से रक्षाबंधन की तिथियों में भिन्नता देखने को मिलती है।
राखी पर्व से जुडी समस्त समस्याओं का समाधान करते हुए प्रख्यात ज्योतिर्विद एवं वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने रक्षाबंधन की जानकारी देते हुए बताया कि राखी का यह पर्व भद्रा रहित और तीन मुहूर्त से अधिक उदयकाल व्यापिनी पूर्णिमा के अपराह्न प्रदोष काल में करना चाहिए। उदयकाल में यदि तीन मुहूर्त से कम हो तब पहले दिन भद्रा रहित प्रदोष काल में करना चाहिए। ग्रहण, संक्रांति आदि के दिन भी इस पर्व को किया जा सकता है।
स्वामी जी ने बताया कि श्री राम नवमी, दुर्गाष्टमी, एकादशी, गुरुपूर्णिमा, रक्षाबंधन, भाईदौज आदि का कर्मकाल दिन में पड़ने के कारण इन्हे दिनव्रत नाम से जाना जाता है तथा इनके लिए केवल उदया तिथि ली जाती है। सूर्योदय के बाद तिथि चाहे जो भी हो उसी दिन को व्रत पूजा यज्ञ अनुष्ठान स्नान दान आदि के लिए सम्पूर्ण आहोरात्र में पुण्यफल प्रदान करने वाली माना गया है फिर चाहे 1 घटी या आधी घटी क्यों न हो लेकिन यह रक्षा पर्व 2 घटी 37 पल रहेगा।
लौकिक व्यवहार में प्रायः रक्षा विधान हमेशा उदया तिथि में सुबह के समय दिन में होता रहा है, इस बार श्रावण पूर्णिमा 30 अगस्त प्रातः 10:58 मिनट से प्रारंभ होगी, उससे पूर्व चतुर्दशी तिथि रहने परन्तु रक्षाबंधन को चतुर्दशी तिथि में नहीं मनाया जाता। अतः10:58 से पूर्व तो रक्षाबंधन मना ही नहीं जा सकता। पूर्णिमा तिथि प्रारंभ होने के साथ ही भद्रा तिथि प्रारंभ हो जाएगी जिसका वास पृथ्वी लोक पर रहेगा। जिसकी समाप्ति रात्रि 09:01 मिनट पर होगी अतः इस वर्ष रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त 30 अगस्त रात्रि 09:01 बजे के बाद रहेगा तथा 31 अगस्त प्रातः 07:05 मिनट तक पूर्णिमा तिथि के रहने के कारण तीन मुहूर्त नहीं कही जाएगी, किन्तु बहने इस समय रक्षासूत्र बांध सकती हैं।
श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। लेकिन इस बार पूर्णिमा तिथि लगने के साथ ही भद्रा लग रहा है। इसकी वजह से रक्षा बंधन मनाने की तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति है। ज्योतिषियों के मुताबिक, 30 अगस्त को रात में भद्रा समाप्त होने के बाद राखी बांधी जा सकती है। साथ ही, 31 अगस्त को उदया तिथि के कारण पूरे दिन राखी बांधी जा सकेंगी।