अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला पर्व गुरुपूर्णिमा 21 जुलाई को : स्वामी पूर्णानन्द पुरी
विष्कुम्भ,प्रीति एवं सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ कई शुभ योगों में इस बार मनेगी व्यास पूर्णिमा
अलीगढ़ न्यूज़: आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि को हर साल गुरु पूर्णिमा पर्व मनाया जाता है। इस दिन महाभारत के रचयिता महान ऋषि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस बार पूर्णिमा तिथि 20 जुलाई शनिवार सांय 05:59 मिनट से प्रारंभ होकर अगले दिन दोपहर 03:46 मिनट तक रहेगी ऐसे में उदयातिथि को देखते हुए गुरु पूर्णिमा का पर्व 21 जुलाई को मनाया जाएगा।वहीं शास्त्रों के अनुसार जो लोग पूर्णिमा का व्रत रखते हैं वह व्रत चंद्रोदय व्यापिनी पूर्णिमा तिथि को ही रखा जाता है इसलिए 20 जुलाई को पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा।
ज्योतिर्विद स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया कि इस बार गुरु पूर्णिमा विशेष संयोगों में मनायी जा रही है, प्रातः 05:37 मिनट से सर्वार्थ सिद्धि योग प्रारंभ होगा जो कि मध्य रात्रि 12:14 मिनट तक रहेगा। इसके साथ ही उत्तराषाढा नक्षत्र प्रातःकाल से लेकर मध्य रात्रि 12:14 मिनट तक रहेगा वहीं श्रवण नक्षत्र और प्रीति योग का निर्माण भी इस दिन हो रहा है। इसके अलावा विष्कुंभ योग प्रात:काल से रात्रि 09:11 मिनट तक रहेगा। इस दिन धनु राशि में चन्द्रमा होने से पूजा के महत्त्व को और बढ़ा रहा है।
स्वामी पूर्णानंदपुरी जी ने गुरु पूर्णिमा महत्व को लेकर बताया कि वर्ष में एक दिन अपने गुरु का सम्मान करने और उनके प्रति आभार जताने का यह पावन अवसर है,अज्ञान रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाने एवं परमात्मा से साक्षात्कार कराने के कारण वैदिक पुराणों में गुरु को भगवान से भी ऊपर दर्जा दिया गया है,जिन जातकों की कुंडली में गुरु ग्रह से संबंधित कोई दोष हो तो गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु पूजन करने से यह दोष खत्म हो जाते हैं और कुंडली में मौजूद पितृदोष भी खत्म हो जाता है। गुरु पूजन से भाग्योदय होता है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास रहता है। गुरु ही ब्रह्मज्ञान एवं मोक्ष का मार्ग दिखाते है,इसी दिन वेद व्यास जी ने वेदों की रचना की थी। माना जाता है कि भगवान शिव ने गुरु पूर्णिमा के दिन से ही सप्त ऋषियों को योग की शिक्षा देनी प्रारंभ की थी।
गुरु पूर्णिमा के दिन व्यक्ति को प्रातः स्नान के बाद गुरु के पास जाकर विधि विधान से गुरु चरणों की पूजा करनी चाहिए।अगर किसी कारण से आप उनसे मिल नहीं सकते हैं तो उनके छायाचित्र की धूप दीप चंदन और तिलक करके पूजा कर सकते हैं।ऐसा करने से गुरु कृपा आप पर बनी रहेगी और हमेशा आपको उनका मार्ग दर्शन मिलता रहेगा।