श्रद्धा में सराबोर हो नम आँखों से दी पितरों को विदायी, असहाय और बुजुर्गों की सेवा के लिए मिला है मानव जन्म: स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज

श्रद्धा में सराबोर हो नम आँखों से दी पितरों को विदायी, असहाय और बुजुर्गों की सेवा के लिए मिला है मानव जन्म: स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज

अलीगढ़ न्यूज़– श्रद्धा एवं भाव से परिपूर्ण पितृ पक्ष के पुण्य दिनों का समापन बुधवार को अमावस्या के श्राद्ध के साथ हुआ, जहाँ एक ओर सनातन प्रेमियों ने अपने पूर्वजों को याद करके श्राद्ध तर्पण और ब्रह्मभोज किया। वहीं दूसरी ओर वैदिक ज्योतिष संस्थान के तत्वावधान में बुलंदशहर जिले के अनूपशहर स्थित जे.पी गंगा घाट पर “सर्वस्व समर्पण कर आओ करें पितृ तर्पण” अनुष्ठान के तहत सामूहिक तर्पण किया गया।

प्रातः कालीन बेला में वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज के सानिध्य में आचार्य गौरव शास्त्री, पंडित मनोज मिश्रा, कथाव्यास शिवम शास्त्री, चंदर शास्त्री, ओम वेदपाठी आदि विद्वान ब्राह्मणों द्वारा दूध, गंगाजल, काले तिल, जौ आदि से पितरों के निमित्त तर्पण एवं श्राद्ध करवाया गया, वहीं कुशा द्वारा संस्थान के सदस्यों ने अपने अपने पूर्वजों को जल दान दिया।

इस अवसर पर स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने कहा कि हमारे पूर्वज किसी न किसी रूप में सदैव हमारे साथ रहते हैं, उनकी कृपा और आशीर्वाद भी नि:संदेह सबको मिलता है, वैसे तो पितृ ऋण चुका पाना असंभव है लेकिन हमारे शास्त्र और पुराणों में श्राद्ध पक्ष के दिनों में अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का एक अवसर दिया जाता है, क्योंकि मनुष्य योनि में रहकर हम हर प्रकार की योनि के लिए सेवा कर सकते हैं।इसलिए हमारे पूर्वज पुनर्जन्म के बाद किसी भी योनि में हो अथवा अन्य यातनाएं काट रहे हों उनके लिए पंचबलि के रूप में हम इन दिनों तर्पण और श्राद्ध द्वारा तृप्त कर स्वयं को अनुग्रहीत कर सकते हैं।

उन्होंने बताया कि वैसे तो श्राद्ध की तिथि अलग अलग दिनों में पड़ती है लेकिन जो लोग व्यस्तता, तिथि की जानकारी के अभाव में अथवा अन्य कारणों से इन दिनों में श्राद्ध तर्पण नहीं कर पाए हों उनके लिए पितृ पक्ष अमावस्या का दिन स्वर्णिम और पितृ आशीर्वाद लेने का अंतिम दिन होता है। इसलिए वैदिक ज्योतिष संस्थान के द्वारा प्रति वर्ष उन लोगों के लिए यह अनुष्ठान किया जाता है, जिनकी या तो जल दान के लिए संतान नहीं होतीं या फिर पाश्चात्य संस्कृति के चलते अपने पितरों की सेवा नहीं करते। इस अनुष्ठान के तहत अकाल मृत्यु पश्चात अलग अलग यातनाओं को झेल रहे व्यक्तियों की आत्म शांति हेतु भी विशेष तर्पण किया जाता है। तर्पण उपरांत ब्राह्मण भोजन करवाया गया।

अनुष्ठान में रजनीश वार्ष्णेय, संजय नवरत्न, तेजवीर सिंह, राहुल सिंह, पवन तिवारी, नवीन चौधरी, जितेंद्र गोविल, शिव नारायण शर्मा, सुमित वर्मा, मोहित राघव, शिवा सिंह, शेखर सिंह, शिब्बू अग्रवाल, लकी सिंह,  अजीत चौहान, दीपक सिंह, कौशल सिंह आदि ने नम आँखों से अपने पितरो को विदायी दी।

Vplnews

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *