तीर्थराज प्रयाग में कल्पवास और आराधना से मिलती है अक्षय फल की प्राप्ति: स्वामी पूर्णानंदपुरी जी

अलीगढ़ /प्रयागराज: माँ दुर्गा को समर्पित नव दिवसीय महापर्व नवरात्रि को सनातन धर्म में बड़े श्रद्धा एवं भाव से मनाया जाता है।साल में चार बार आने वाला यह महापर्व दो गुप्त और दो और प्रत्यक्ष नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है, प्रत्यक्ष नवरात्रि में जहां मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है, वहीं गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है। माघ महीने में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से गुप्त नवरात्रि पर्व मनाया जाता है। इस बार 30 जनवरी से गुप्त नवरात्र का आरंभ हो चुका है, जिसकी कलश स्थापना एवं अनुष्ठान इस बार वैदिक ज्योतिष संस्थान के तत्वावधान में संगम तट पर किया गया।
संस्थान के अध्यक्ष पूज्य स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज के सानिध्य में लग रहे अलीगढ के पहले शिविर हरिगढ़ साधना शिविर में इस बार गुप्त नवरात्रि की कलश स्थापना की गयी। प्रातः कालीन बेला में आचार्य गौरव शास्त्री की अध्यक्षता में आचार्य ऋषि शास्त्री, रवि शास्त्री, अंकित शास्त्री आदि आचार्यों द्वारा भगवान गणेश, माँ गंगा का ध्यान करते हुए भूमि और अन्य देवताओं के आवाहन के साथ कलश स्थापित कर भगवती दुर्गा का पूजन अर्चन किया गया। श्री पंचायती अखाडा महानिर्वाणी के श्री महंत पंच परमेश्वर द्वारा सभी अचार्यों ने पूजन एवं वैदिक विधि विधान से दस महाविद्याओं में से पहले दिन की पूजा में देवी का पुष्पों से अर्चन करवाया।
स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने इस अवसर पर शिविर में उपस्थित भक्तों के समक्ष प्रवचनों के माध्यम से कहा कि तीर्थराज प्रयाग में संगम तट पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है, साधु सन्यासियों के दर्शन और संगम स्नान के साथ यहां महाकुम्भ में देवी की आराधना करने का श्रेष्ठ अवसर हम सबको प्राप्त हुआ है। वहीं पहली बार आयोजित अलीगढ के शिविर में श्रद्धालुओं को भी पावन और पवित्र गुप्त नवरात्रि पूजा करने का मौका मिला है। तीर्थों के राजा प्रयागराज में किया गया कोई भी पुण्य कार्य समूचे पापों का विनाश कर मोक्ष का भागी बनाता है।
पूजन अर्चन के बाद नित्यप्रति होने वाली महाआरती में नवीन चौधरी, राजा शर्मा, अमित सिंह, अजीत चौहान, सौरभ रावत, सचिन सिंह, सौरभ शर्मा समेत अन्य लोगों ने भाग लिया और सांयकालीन कुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भंडारा आयोजित किया गया।