गलत आदतों से बढ़ रहा है ब्रेन स्ट्रोक का खतरा: न्यूरोसर्जन नागेश वार्ष्णेय
अलीगढ़ न्यूज़: ब्रेन स्ट्रोक की बीमारी से बचाव के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए प्रतिवर्ष 29 अक्टूबर को ब्रेन स्ट्रोक दिवस मनाया जाता है। आशा ब्रेन एण्ड स्पाइन सेंटर रामघाट रोड़ के वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉक्टर नागेश वार्ष्णेय ने जनजागरूकता से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि आजकल चिकित्सक ब्रेन स्ट्रोक को ब्रेन अटैक ज्यादा कहते हैं, जिससे आम जनता में जागरूकता आए। दिमागी आघात पूरी दुनिया में मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण है और लगभग 62 लाख लोगों की हर साल इसके कारण मृत्यु होती है।
उन्होंने बताया कि दिमाग का पक्षाघात दो प्रकार से होता है।जिनमें खून की नस का सूखना और खून की नस का फटना मुख्य कारण हैं, जबकि प्रत्येक व्यक्ति को पक्षाघात के जोखिम होते हैं। प्रथम जिसको बदल नहीं सकते उनमें आयु, पुरुष वर्ग और पारिवारिक इतिहास शामिल है। जबकि हृदय की बीमारी, धूम्रपान, शराब, मधुमेह नियंत्रण, तेल चिकनाई, वसायुक्त भोजन, रक्तचाप नियंत्रण इसके बदलने लायक कारक हैं।
ट्रांजिएट इस्कीमिक आघात में यह लक्षणों के लघु रूप हैं जबकि यह कुछ मिनट से 24 घंटे तक रहते हैं। यह स्थाई अक्षमता नहीं बनाते किंतु यह आने वाली गंभीर बीमारियों के प्रति गंभीर चेतावनी होती है और इससे पीड़ित हुए एक तिहाई लोगों को पक्षाघात आने की संभावना रहती है।
वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉक्टर नागेश वार्ष्णेय ने इसके लक्षण तथा बचाव की जानकारी भी दी।
पक्षाघात के लक्षण- चेहरे, हाथ-पैर में कमजोरी आना, बोलने और समझने में कठिनाई, आंखों से देखने में दिक्कत, बहुत तेज सिरदर्द, चक्कर आना, संतुलन खोना जैसे लक्षण होने पर अच्छे चिकित्सक से मिलकर उचित इलाज कराना चाहिए।
बचाव के तरीके- समुचित फाइबर वाला भोजन,फलियां, मटर, हरी सब्जियां, ज्यादा शक्कर, लाल मांस, कम नमक, शराब का सेवन न करके, आदर्श वजन बनाकर व नियमित व्यायाम करके इसके खतरे को टाला जा सकता है साथ ही हाथ पैरों की कमजोरी के लिए नियमित फिजियोथैरेपी होनी चाहिए।