मंगलवार से प्रारम्भ होंगे मांगलिक कार्य, बजेगी शहनाई: स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज
अलीगढ़ न्यूज़: कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली दूसरी एकादशी को देवोत्थान एकादशी अथवा देवठान कहा जाता है। चार महीने की योगनिद्रा के बाद इसी दिन से जगत के पालनहार भगवान विष्णु सृष्टि का कार्यभार सँभालते हैं और सभी मांगलिक एवं शुभ कार्यों का शुभारम्भ भी हो जाता है।
ज्योतिर्विद स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज के अनुसार इस बार देवोत्थान एकादशी सोमवार सांय 06:46 मिनट से प्रारंभ होकर मंगलवार सांय 04:04 मिनट तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि के हिसाब से मंगलवार यानि 12 नवम्बर को देवठान मनाया जाएगा।
स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया कि शास्त्रों में एकादशी तिथि का बड़ा महत्व होता है। कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष एकादशी को देवउठनी एकादशी अथवा देव प्रबोधिनी या देवोत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।देव शयनी एकादशी से देवोत्थान एकादशी के चार महीनों में सभी शुभ एवं मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं,क्योंकि मांगलिक कार्यों के अधिष्ठात्र देव भगवान विष्णु निंद्रा में रहते हैं। देव जागरण या उत्थान होने के कारण इस दिन से शुभ कार्य भी प्रारंभ हो जाते हैं।
देवोत्थान एकादशी पूजा के विषय में स्वामी जी ने कहा कि इस दिन प्रातः दैनिक कार्यों से निवृत होकर गाय के गोबर के साथ पूजन वाले स्थान की लिपाई करके गंगाजल द्वारा पवित्र करके भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें और विधि विधान से पूजन अर्चन कर गेरू एवं चावल के पानी से आकृतियाँ बनाएं,गन्ने का मंडप बनाकर तुलसी और शालिग्राम जी के विवाह की परंपरा भी भी इस दिन निभाई जाती है साथ ही गन्ने के जूस एवं सिंघाड़ा के भोग लगाकर घंटी और स्तुतियों के माध्यम से अपने आराध्य को जगाएं।
मान्यता है कि जिस मांगलिक कार्य का शुभ मुहूर्त ज्ञात नहीं हो वह देवठान के दिन अबूझ मुहूर्त यानि इस दिन किसी भी मुहूर्त की जरुरत नहीं होती वह इस दिन शुभ कार्य कर सकते हैं साथ ही इस साल 17, 18, 23, 25, 27, 28 नवम्बर तथा दिसंबर में दिनांक 2, 3, 4, 6, 7, 10, 11, 14 को विवाह का शुभ लग्न मिलेगा।