पापों के नाश हेतु करें मोक्षदा एकादशी व्रत: स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज
अलीगढ़ न्यूज़: वर्ष के प्रत्येक महीने में दो बार एकादशी व्रत किये जाते हैं। इस प्रकार वर्ष भर में कुल 24 एकादशी तिथियां पड़ती है। मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है, मोक्षदा एकादशी को मौना एकादशी भी कहा जाता है।
वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज के अनुसार मोक्षदा एकादशी को अत्यंत शुभ एवं फलदाई माना गया है। इस बार एकादशी तिथि का प्रारंभ कल यानि 11 दिसंबर को प्रातः 03:42 मिनट से हो रहा है, जिसकी समाप्ति अगले दिन रात्रि 01:09 मिनट पर होगी अतः कल मोक्षदा एकादशी मनाई जाएगी। मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत युद्ध के दौरान कुरुक्षेत्र में गीता का उपदेश दिया था अतः यह तिथि गीता जयंती के नाम से भी जानी जाती है।
स्वामी जी ने बताया मोक्षदा एकादशी के महत्व के विषय में जानकारी देते हुए कहा कि इस दिन तुलसी की मंजरी, धूप, दीप, नैवेद्य, आदि से भगवान श्री कृष्ण का पूजन एवं व्रत करने से मनुष्य के समस्त पाप,संताप एवं कष्टों का नाश होता है। अतः एकादशी व्रत रखने वाले व्यक्तियों को प्रातः काल उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेकर भगवान श्री कृष्ण की पूजा करनी चाहिए।
साथ ही इस रात्रि में जागरण करके सम्पूर्ण गीता पाठ कर महाआरती करनी चाहिए। एकादशी महात्म की कथा श्रवण करने के बाद अगले दिन यानि द्वादशी को व्रत का पारण प्रातः 07: 07 से 09:09 मिनट तक करके कम से कम पाँच ब्राह्मण और संतों भोजन करवाकर अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान दक्षिणा दें।