हरिगढ़ साधना शिविर में मनायी गयी बसंत पंचमी, हुआ महायज्ञ

हरिगढ़ साधना शिविर में मनायी गयी बसंत पंचमी, हुआ महायज्ञ

अलीगढ़ /प्रयागराज: विश्व विख्यात महाकुम्भ मेला में नागाओं एवं अखाड़ों का त्रिवेणी संगम में शाही स्नान का विशेष महत्व है, संक्रांति शाही स्नान के बाद मौनी अमावस्या के स्नान के पश्चात सोमवार को बसंत पंचमी का स्नान किया गया। महाकुंभ मेला प्रशासन ने अखाड़ों को सोमवार तड़के शाही स्नान के लिए निर्धारित समय प्रदान किया था। इस अवसर पर नागा संन्यासियों और साधु-संतों ने पारंपरिक साज सज्जा के साथ स्नान किया। रथों, हाथियों, ऊंटों और घोड़ों पर सवार होकर संगम तट पहुंचे। उनके साथ तलवारें, गदा और रत्नजड़ित मालाओं की भव्यता देखी गई। स्नान के उपरांत संतों ने अपने शिविरों में पूजा अर्चना की।

इसी क्रम में वैदिक ज्योतिष संस्थान एवं विश्व कल्याण सेवा संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में शहर के धर्म गुरु पूज्य स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज के सानिध्य में चल रहे हरिगढ़ साधना शिविर के दौनो शिविरों के श्रद्धालुओं ने महानिर्वाणी अखाड़े के सन्यासियों एवं नागाओं के साथ अमृत स्नान किया। हर हर महादेव,जय गंगा मईया और बम बम भोले के जयकारे के साथ लाखों की भीड़ में मौजूद श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में गोते लगाए। प्रातः दो बजे स्वामी जी ने अपने अनुयायिओं के साथ शिविर से अपने अपने वाहनों से अखाडे में प्रस्थान किया हाथों में ध्वजा और मुख से भगवान नाम संकीर्तन करते हुए सभी भक्तों ने अमृत स्नान किया।

अपराह्न काल में शिविर में आने के बाद सभी भक्तों द्वारा देवी सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर वैदिक मंत्रो एवं श्री शूक्त और पुरुषशूक्त द्वारा महायज्ञ में आहुतियाँ दिलवायीं जिसका संचालन आचार्य गौरव शास्त्री, ऋषि शास्त्री, रवि शास्त्री, ओम वेदपाठी, माधव शास्त्री द्वारा किया गया।

इस अवसर पर स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने उपस्थित भक्तों के समक्ष जानकारी देते हुए कहा कि तीर्थ क्षेत्र में किया गया कोई भी शुभ कार्य अन्य क्षेत्र में किये गए कार्य से अनंत गुना फल देता है, प्रयागराज तो तीर्थ का राजा है इसलिए शास्त्रोंक्त एवं पौराणिक विशेष महत्व रखता है।

मान्यता है कि शाही स्नान से व्यक्ति के जाने अनजाने में किये गए कायिक, वाचिक एवं मानसिक पापों से मुक्ति मिलती है, अखाड़ों के नागाओं एवं सन्यासी द्वारा भाले के साथ शाही स्नान किया जाता है, क्योंकि भाला अखाड़ों के इष्ट के प्रतीक हैं। इसके साथ ही धर्म प्रचार के साथ अधर्म के नाश से भी भाला अपना महत्व रखता है। महाकुम्भ में किये गए अमृत स्नान से आध्यात्मिक मुक्ति या मोक्ष की ओर जाने का मार्ग प्रशस्त होता है।

महायज्ञ में तेजवीर सिंह जादौन, नवीन चौधरी, राजा शर्मा, सौरभ रावत, अजीत चौहान, अर्चना अग्रवाल आदि लोगों ने आहुतियाँ दीं।

Vplnews

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